दिल बदल जाए तो बता दीजे
ये न हो, ख़त से इत्तिला दीजे
या चलें साथ हमसफ़र बन कर
या हमें राह से हटा दीजे
आज ज़िंदा हैं, आज मिल लीजे
मौत के बाद क्या दुआ दीजे
लोग फ़ाक़ाकशी से आजिज़ हैं
भूख की कारगर दवा दीजे
है शिकायत अगर फ़रिश्तों से
तो परिंदों को क्यूं सज़ा दीजे
आप इस दौर का करिश्मा हैं
हम गया वक़्त हैं, भुला दीजे
क़ब्ल इसके कि ख़ून पानी हो
ज़ुल्म की सल्तनत मिटा दीजे !
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: ख़त: पत्र; इत्तिला: सूचना; हमसफ़र: सहयात्री; फ़ाक़ाकशी: लंघन, भूखे रहना; आजिज़: तंग, असहाय;
कारगर: प्रभावी; फ़रिश्तों: देवदूतों; परिंदों: पक्षियों; करिश्मा: चमत्कार; क़ब्ल: पूर्व; सल्तनत: साम्राज्य।
ये न हो, ख़त से इत्तिला दीजे
या चलें साथ हमसफ़र बन कर
या हमें राह से हटा दीजे
आज ज़िंदा हैं, आज मिल लीजे
मौत के बाद क्या दुआ दीजे
लोग फ़ाक़ाकशी से आजिज़ हैं
भूख की कारगर दवा दीजे
है शिकायत अगर फ़रिश्तों से
तो परिंदों को क्यूं सज़ा दीजे
आप इस दौर का करिश्मा हैं
हम गया वक़्त हैं, भुला दीजे
क़ब्ल इसके कि ख़ून पानी हो
ज़ुल्म की सल्तनत मिटा दीजे !
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: ख़त: पत्र; इत्तिला: सूचना; हमसफ़र: सहयात्री; फ़ाक़ाकशी: लंघन, भूखे रहना; आजिज़: तंग, असहाय;
कारगर: प्रभावी; फ़रिश्तों: देवदूतों; परिंदों: पक्षियों; करिश्मा: चमत्कार; क़ब्ल: पूर्व; सल्तनत: साम्राज्य।
बेहद उम्दा रचना और बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंनयी पोस्ट@जब भी सोचूँ अच्छा सोचूँ
आप की रचनाएं भी मेरी रचनाओं की तरह गेय हैं, आप कहें तो तो आपकी रचनाओं को संगीत के साथ प्रस्तुत किया जा सकता है.......
वाह-वाह...हर शेर कमाल का...बहुत ही उम्दा...
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