रंजो-ग़म हर नफ़्स में शामिल सही
ज़ीस्त मुमकिन है, भले मुश्किल सही
हम गदा बन कर खड़े हैं सामने
तू अगर ईमां न दे तो दिल सही
चंद लम्हे लूट कर ले जाएंगे
मौत चाहे आख़िरी मंज़िल सही
बेहतरी की फ़िक्र कैसे छोड़ दें
शाह अपने मुल्क का क़ातिल सही
मात ना-मंज़ूर है तूफ़ान से
सामने सुख-चैन का साहिल सही
बात हक़ की ही कहेंगे ख़ुल्द में
गो ख़्याले-यार में ग़ाफ़िल सही
इब्ने-आदम को न मानेंगे ख़ुदा
सूलियां सच्चाई का हासिल सही !
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: रंजो-ग़म: खेद और दुःख; नफ़्स: सांस; ज़ीस्त: जीवन; मुमकिन: संभव; गदा: भिक्षुक; ईमां: आस्था; चंद: चार; लम्हे: क्षण;
मात: पराजय; साहिल: तट; हक़: न्याय; ख़ुल्द: ईश्वर का देश, स्वर्ग; गो: यद्यपि; ख़्याले-यार: प्रिय, ईश्वर का चिंतन; ग़ाफ़िल: असावधान; इब्ने-आदम: मनुष्य की संतान; हासिल: उपलब्धि, अभिप्राप्ति।
ज़ीस्त मुमकिन है, भले मुश्किल सही
हम गदा बन कर खड़े हैं सामने
तू अगर ईमां न दे तो दिल सही
चंद लम्हे लूट कर ले जाएंगे
मौत चाहे आख़िरी मंज़िल सही
बेहतरी की फ़िक्र कैसे छोड़ दें
शाह अपने मुल्क का क़ातिल सही
मात ना-मंज़ूर है तूफ़ान से
सामने सुख-चैन का साहिल सही
बात हक़ की ही कहेंगे ख़ुल्द में
गो ख़्याले-यार में ग़ाफ़िल सही
सूलियां सच्चाई का हासिल सही !
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: रंजो-ग़म: खेद और दुःख; नफ़्स: सांस; ज़ीस्त: जीवन; मुमकिन: संभव; गदा: भिक्षुक; ईमां: आस्था; चंद: चार; लम्हे: क्षण;
मात: पराजय; साहिल: तट; हक़: न्याय; ख़ुल्द: ईश्वर का देश, स्वर्ग; गो: यद्यपि; ख़्याले-यार: प्रिय, ईश्वर का चिंतन; ग़ाफ़िल: असावधान; इब्ने-आदम: मनुष्य की संतान; हासिल: उपलब्धि, अभिप्राप्ति।
क्या बात है। बहुत ही सुन्दर
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