लोग मौसम की दुहाई दे रहे हैं
आप इस पर क्या सफ़ाई दे रहे हैं ?
चार दिन बैठे नहीं हैं तख़्त पर वो
ऐब खुल- खुल कर दिखाई दे रहे हैं
थी बहुत उम्मीद जिनको शाह जी से
आज उनके ग़म सुनाई दे रहे हैं
दे रहे हैं दिल कहीं तो जान लीजे
ज़िंदगी भर की कमाई दे रहे हैं
क्या इन्हीं अच्छे दिनों की बात की थी
ख़ूब दिल से बेवफ़ाई दे रहे हैं
क्यूं क़सीदे हम पढ़ें इन हाकिमों के
कौन सी हमको ख़ुदाई दे रहे हैं !
ताजिरों के हाथ दे दी ज़िंदगी भी
आप कैसी रहनुमाई दे रहे हैं ?
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: ऐब: दोष; बेवफ़ाई: कृतघ्नता; क़सीदे: प्रशंसा-गीत; हाकिमों: शासकों; ख़ुदाई: संसार पर अधिकार;
ताजिरों: व्यापारियों; रहनुमाई: नेतृत्व, मार्गदर्शन।
आप इस पर क्या सफ़ाई दे रहे हैं ?
चार दिन बैठे नहीं हैं तख़्त पर वो
ऐब खुल- खुल कर दिखाई दे रहे हैं
थी बहुत उम्मीद जिनको शाह जी से
आज उनके ग़म सुनाई दे रहे हैं
दे रहे हैं दिल कहीं तो जान लीजे
ज़िंदगी भर की कमाई दे रहे हैं
क्या इन्हीं अच्छे दिनों की बात की थी
ख़ूब दिल से बेवफ़ाई दे रहे हैं
क्यूं क़सीदे हम पढ़ें इन हाकिमों के
कौन सी हमको ख़ुदाई दे रहे हैं !
ताजिरों के हाथ दे दी ज़िंदगी भी
आप कैसी रहनुमाई दे रहे हैं ?
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: ऐब: दोष; बेवफ़ाई: कृतघ्नता; क़सीदे: प्रशंसा-गीत; हाकिमों: शासकों; ख़ुदाई: संसार पर अधिकार;
ताजिरों: व्यापारियों; रहनुमाई: नेतृत्व, मार्गदर्शन।
आपकी लिखी रचना बुधवार 25 जून 2014 को लिंक की जाएगी...............
जवाब देंहटाएंhttp://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
wah wa!
जवाब देंहटाएंटूटती उम्मीदों पर अच्छा लिखा है....अच्छे दिन जाने कब आएंगे
जवाब देंहटाएंkya bat hai
जवाब देंहटाएंवाह-वाह क्या बात है...
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