दूर जा कर दुआएं देते हैं
ख़ूब हमको वफ़ाएं देते हैं
देख ली आपकी फ़राग़दिली
जान ले कर अदाएं देते हैं
बांटते हैं बहार ग़ैरों को
और हमको ख़िज़ाएं देते हैं
शे'र कहते हैं हम पे महफ़िल में
हस्रतों को हवाएं देते हैं
'तख़्लिया' कहके भाग जाते हैं
ख़्वाहिशों को ख़लाएं देते हैं
सच न कह दें वो: आपके मुंह पे
आईनों को रिदाएं देते हैं
शाह हैं मेह्र्बां रियाया पर
मुफ़लिसी की दवाएं देते हैं
ख़ुल्द है दूर, हमसे कहते हैं
फिर फ़लक़ से सदाएं देते हैं !
( 2014 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: फ़राग़दिली: उदारता; ख़िज़ाएं: पतझड़; महफ़िल: गोष्ठी; हस्रतों: आकांक्षाओं; 'तख़्लिया': एकांत; ख़्वाहिशों: इच्छाओं;
ख़लाएं: एकांत, निर्जन स्थान; रिदाएं: आवरण; मेह्र्बां: दयालु; रियाया: प्रजा; मुफ़लिसी: निर्धनता; ख़ुल्द: स्वर्ग; फ़लक़: आकाश।
ख़ूब हमको वफ़ाएं देते हैं
देख ली आपकी फ़राग़दिली
जान ले कर अदाएं देते हैं
बांटते हैं बहार ग़ैरों को
और हमको ख़िज़ाएं देते हैं
शे'र कहते हैं हम पे महफ़िल में
हस्रतों को हवाएं देते हैं
'तख़्लिया' कहके भाग जाते हैं
ख़्वाहिशों को ख़लाएं देते हैं
सच न कह दें वो: आपके मुंह पे
आईनों को रिदाएं देते हैं
शाह हैं मेह्र्बां रियाया पर
मुफ़लिसी की दवाएं देते हैं
ख़ुल्द है दूर, हमसे कहते हैं
फिर फ़लक़ से सदाएं देते हैं !
( 2014 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: फ़राग़दिली: उदारता; ख़िज़ाएं: पतझड़; महफ़िल: गोष्ठी; हस्रतों: आकांक्षाओं; 'तख़्लिया': एकांत; ख़्वाहिशों: इच्छाओं;
ख़लाएं: एकांत, निर्जन स्थान; रिदाएं: आवरण; मेह्र्बां: दयालु; रियाया: प्रजा; मुफ़लिसी: निर्धनता; ख़ुल्द: स्वर्ग; फ़लक़: आकाश।
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