शहसवारों ! ज़रा इधर देखो
पैदली मात का हुनर देखो
ख़लबली है सभी हरीफ़ों में
'आप' के नाम का असर देखो
जिस्म नीला पड़ा सियासत का
झूठ के सांप का ज़हर देखो
डगमगाते हैं पांव मंज़िल के
ख़ाकसारों की रहगुज़र देखो
नाख़ुदा ही भंवर में ले आया
डूबती नाव का सफ़र देखो
दर्दे-दिल से ज़रा निजात मिली
फिर बहकने लगी नज़र देखो
तोड़ लेना वफ़ाओं के रिश्ते
लड़खड़ाते हमें अगर देखो
रंग बदले हैं आसमानों के
आ रही है नई सहर देखो
रिज़्क़ मिल जाए तो नमाज़ पढ़ें
ख़ुल्द देखो कि अपना घर देखो !
( 2014 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: शहसवारों: घुड़सवारों; पैदली मात: शतरंज में पैदलों के सहारे राजा को घेरना; हुनर: कला, क्षमता; ख़ाकसारों : दरिद्रजन;
रहगुज़र: पथ, यात्रा का संघर्ष; हरीफ़ों: प्रतिद्वंदियों; नाख़ुदा: नाविक; सहर: उष: काल; रिज़्क़: दैनिक भोजन; ख़ुल्द: स्वर्ग, परलोक।
पैदली मात का हुनर देखो
ख़लबली है सभी हरीफ़ों में
'आप' के नाम का असर देखो
जिस्म नीला पड़ा सियासत का
झूठ के सांप का ज़हर देखो
डगमगाते हैं पांव मंज़िल के
ख़ाकसारों की रहगुज़र देखो
नाख़ुदा ही भंवर में ले आया
डूबती नाव का सफ़र देखो
दर्दे-दिल से ज़रा निजात मिली
फिर बहकने लगी नज़र देखो
तोड़ लेना वफ़ाओं के रिश्ते
लड़खड़ाते हमें अगर देखो
रंग बदले हैं आसमानों के
आ रही है नई सहर देखो
रिज़्क़ मिल जाए तो नमाज़ पढ़ें
ख़ुल्द देखो कि अपना घर देखो !
( 2014 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: शहसवारों: घुड़सवारों; पैदली मात: शतरंज में पैदलों के सहारे राजा को घेरना; हुनर: कला, क्षमता; ख़ाकसारों : दरिद्रजन;
रहगुज़र: पथ, यात्रा का संघर्ष; हरीफ़ों: प्रतिद्वंदियों; नाख़ुदा: नाविक; सहर: उष: काल; रिज़्क़: दैनिक भोजन; ख़ुल्द: स्वर्ग, परलोक।
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