नींद उनकी ख़याल अपना है
ज़िंदगी का सवाल अपना है
चश्मे-नम राज़ फ़ाश करती है
दर्द उनका मलाल अपना है
रहबरी की है ख़ूब लूटेंगे
मुल्क रैयत का माल अपना है
सहर के हुस्न में नया जो है
वो: नज़र का कमाल अपना है
बात दिल पर कहीं लगे उनके
शे'र तो बेमिसाल अपना है
कुछ कमी रह गई है दावत में
आजकल ख़स्त: हाल अपना है
शान से कीजिए न बिस्मिल्लाह
दाना दाना हलाल अपना है !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: चश्मे-नम: भीगी आंख; राज़ फ़ाश: रहस्योद्घाटन; मलाल: विषाद, खेद; मार्गदर्शन, नेतृत्व; रैयत: जन-साधारण;
सहर: उष: काल; बेमिसाल: अद्वितीय; ख़स्त: हाल: बुरी हालत; बिस्मिल्लाह: शुभारंभ; हलाल: धर्मानुमत।
ज़िंदगी का सवाल अपना है
चश्मे-नम राज़ फ़ाश करती है
दर्द उनका मलाल अपना है
रहबरी की है ख़ूब लूटेंगे
मुल्क रैयत का माल अपना है
सहर के हुस्न में नया जो है
वो: नज़र का कमाल अपना है
बात दिल पर कहीं लगे उनके
शे'र तो बेमिसाल अपना है
कुछ कमी रह गई है दावत में
आजकल ख़स्त: हाल अपना है
शान से कीजिए न बिस्मिल्लाह
दाना दाना हलाल अपना है !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: चश्मे-नम: भीगी आंख; राज़ फ़ाश: रहस्योद्घाटन; मलाल: विषाद, खेद; मार्गदर्शन, नेतृत्व; रैयत: जन-साधारण;
सहर: उष: काल; बेमिसाल: अद्वितीय; ख़स्त: हाल: बुरी हालत; बिस्मिल्लाह: शुभारंभ; हलाल: धर्मानुमत।
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