दोस्तों आज हमको तरह दीजिए
शाइरी की मुनासिब वजह दीजिए
मिसर:-ए-उन्सियत दे दिया आपको
आप ही ख़ूबसूरत गिरह दीजिए
मर न जाएं कहीं हिज्र में आपके
दीजिए तो दुआ बेतरह दीजिए
तज़्किराते-मसाइल-ए-इंसां में अब
जज़्ब:-ए-फ़ाक़ाकश को जगह दीजिए
रौशनी जिसकी क़ायम अज़ल तक रहे
ज़िंदगी को कभी वो: सुबह दीजिए
ज़ात-ओ-मज़्हब के हर दायरे से परे
रहबरों को नई इक निगह दीजिए
जल्व:गर हो न जाएं सरे-बज़्म वो:
नज़्रे-मैकश को ज़र्फ़े-क़दह दीजिए !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: तरह: शे'र की एक पंक्ति, ऐसी पंक्ति जिस पर शे'र कहा जा सके; मुनासिब वजह: उचित कारण; मिसर:-ए-उन्सियत: स्नेह-पूर्ण पंक्ति; गिरह: शे'र की दूसरी पंक्ति, ऐसी पंक्ति जिसे सम्मिलित करके शे'र पूरा हो सके; हिज्र: अनुपस्थिति, वियोग; दुआ: शुभकामना;
बेतरह: जम कर, बहुत अधिक; तज़्किराते-मसाइल-ए-इंसां: मनुष्य की समस्याओं पर चर्चा; जज़्ब:-ए-फ़ाक़ाकश: भूखे रह कर जीने वाले लोगों की भावना; क़ायम: स्थापित; अज़ल: मृत्यु, प्रलय; ज़ात-ओ-मज़्हब: जाति और धर्म; जल्व:गर: प्रकट, दृश्यमान; सरे-बज़्म:भरी सभा में; नज़्रे-मैकश: मद्यप की दृष्टि, दर्शन-रूपी मदिरा पीने वाले की दृष्टि; ज़र्फ़े-क़दह:पात्र संभालने का साहस
शाइरी की मुनासिब वजह दीजिए
मिसर:-ए-उन्सियत दे दिया आपको
आप ही ख़ूबसूरत गिरह दीजिए
मर न जाएं कहीं हिज्र में आपके
दीजिए तो दुआ बेतरह दीजिए
तज़्किराते-मसाइल-ए-इंसां में अब
जज़्ब:-ए-फ़ाक़ाकश को जगह दीजिए
रौशनी जिसकी क़ायम अज़ल तक रहे
ज़िंदगी को कभी वो: सुबह दीजिए
ज़ात-ओ-मज़्हब के हर दायरे से परे
रहबरों को नई इक निगह दीजिए
जल्व:गर हो न जाएं सरे-बज़्म वो:
नज़्रे-मैकश को ज़र्फ़े-क़दह दीजिए !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: तरह: शे'र की एक पंक्ति, ऐसी पंक्ति जिस पर शे'र कहा जा सके; मुनासिब वजह: उचित कारण; मिसर:-ए-उन्सियत: स्नेह-पूर्ण पंक्ति; गिरह: शे'र की दूसरी पंक्ति, ऐसी पंक्ति जिसे सम्मिलित करके शे'र पूरा हो सके; हिज्र: अनुपस्थिति, वियोग; दुआ: शुभकामना;
बेतरह: जम कर, बहुत अधिक; तज़्किराते-मसाइल-ए-इंसां: मनुष्य की समस्याओं पर चर्चा; जज़्ब:-ए-फ़ाक़ाकश: भूखे रह कर जीने वाले लोगों की भावना; क़ायम: स्थापित; अज़ल: मृत्यु, प्रलय; ज़ात-ओ-मज़्हब: जाति और धर्म; जल्व:गर: प्रकट, दृश्यमान; सरे-बज़्म:भरी सभा में; नज़्रे-मैकश: मद्यप की दृष्टि, दर्शन-रूपी मदिरा पीने वाले की दृष्टि; ज़र्फ़े-क़दह:पात्र संभालने का साहस
bahut hi khoobsoorat...
जवाब देंहटाएंरौशनी जिसकी क़ायम अज़ल तक रहे
ज़िंदगी को कभी वो: सुबह दीजिए
ye khaas pasand aaya ...