शोख़ जज़्बात पर यक़ीन नहीं
आपकी बात पर यक़ीन नहीं
यूं यक़ीं है वफ़ाओं पर उनकी
बाज़ अवक़ात पर यक़ीन नहीं
ख़्वाब आएं न आएं अब हमको
रात की ज़ात पर यक़ीन नहीं
तोड़ दें सब तिलिस्म हम उनके
गो ख़ुराफ़ात पर यक़ीन नहीं
पैदलों ने क़िला तबाह किया
शाह को मात पर यक़ीन नहीं
था भरोसा कभी ख़ुदाई पर
आज हालात पर यक़ीन नहीं
ख़ाक कर दें ज़मीर को मेरे
उन इनायात पर यक़ीन नहीं !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: शोख़ जज़्बात: चंचल भावनाएं; वफ़ाओं;आस्थाओं; बाज़ अवक़ात: कुछ अवसर/समय; तिलिस्म: मायाजाल; गो: यद्यपि; ख़ुराफ़ात: उद्दंडता, बदमाशी; ख़ुदाई: ईश्वरीय कृति; ख़ाक: राख़; ज़मीर: स्वाभिमान; इनायात: कृपाएं।
आपकी बात पर यक़ीन नहीं
यूं यक़ीं है वफ़ाओं पर उनकी
बाज़ अवक़ात पर यक़ीन नहीं
ख़्वाब आएं न आएं अब हमको
रात की ज़ात पर यक़ीन नहीं
तोड़ दें सब तिलिस्म हम उनके
गो ख़ुराफ़ात पर यक़ीन नहीं
पैदलों ने क़िला तबाह किया
शाह को मात पर यक़ीन नहीं
था भरोसा कभी ख़ुदाई पर
आज हालात पर यक़ीन नहीं
ख़ाक कर दें ज़मीर को मेरे
उन इनायात पर यक़ीन नहीं !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: शोख़ जज़्बात: चंचल भावनाएं; वफ़ाओं;आस्थाओं; बाज़ अवक़ात: कुछ अवसर/समय; तिलिस्म: मायाजाल; गो: यद्यपि; ख़ुराफ़ात: उद्दंडता, बदमाशी; ख़ुदाई: ईश्वरीय कृति; ख़ाक: राख़; ज़मीर: स्वाभिमान; इनायात: कृपाएं।
वाः वाह वाह
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