क्या कहें और कहने को क्या रह गया
क़िस्स-ए-दिल अगर अनसुना रह गया
आए भी वो: पिला के चले भी गए
सिर्फ़ आंखों में बाक़ी नशा रह गया
रहबरों के बयानात चुभने लगे
शोर के बीच मुद्दा दबा रह गया
ख़्वाब फिर से दबे पांव आने लगे
शब का दरवाज़ा शायद खुला रह गया
उसके इसरार पे जल्व:गर हम हुए
शैख़ का सर झुका तो झुका रह गया
कुछ अक़ीदत में शायद कमी रह गई
मेरे घर आते-आते ख़ुदा रह गया
ज़लज़ले ने मिटा दी मेरी गोर तक
नाम दिल पे किसी के लिखा रह गया !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: क़िस्स-ए-दिल:मन की गाथा; रहबरों: नेताओं; बयानात: भाषण; मुद्दा: काम की बात; इसरार: आग्रह;
जल्व:गर: प्रकट; शैख़: अति-धर्म-भीरु; अक़ीदत: आस्था; ज़लज़ले: भूकम्प; गोर: क़ब्र, समाधि !
क़िस्स-ए-दिल अगर अनसुना रह गया
आए भी वो: पिला के चले भी गए
सिर्फ़ आंखों में बाक़ी नशा रह गया
रहबरों के बयानात चुभने लगे
शोर के बीच मुद्दा दबा रह गया
ख़्वाब फिर से दबे पांव आने लगे
शब का दरवाज़ा शायद खुला रह गया
उसके इसरार पे जल्व:गर हम हुए
शैख़ का सर झुका तो झुका रह गया
कुछ अक़ीदत में शायद कमी रह गई
मेरे घर आते-आते ख़ुदा रह गया
ज़लज़ले ने मिटा दी मेरी गोर तक
नाम दिल पे किसी के लिखा रह गया !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: क़िस्स-ए-दिल:मन की गाथा; रहबरों: नेताओं; बयानात: भाषण; मुद्दा: काम की बात; इसरार: आग्रह;
जल्व:गर: प्रकट; शैख़: अति-धर्म-भीरु; अक़ीदत: आस्था; ज़लज़ले: भूकम्प; गोर: क़ब्र, समाधि !
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