चल कर किसी फ़क़ीर की सोहबत किया करें
हम सोचते हैं हम भी इबादत किया करें
फिरते हैं दिल के चोर शहर में गली-गली
कब तक ज़रा-सी शै की हिफ़ाज़त किया करें
रखते हैं अपने दिल में हर मुरीद की जगह
हम वो: नहीं के: दिल पे सियासत किया करें
चुन-चुन के बांटते हैं शबे-वस्ल का इनाम
वो: हैं ख़ुदा तो सब पे इनायत किया करें
अच्छा नहीं के: बज़्म में इस्लाह दे कोई
बेहतर है दिल में आ के नसीहत किया करें
जी तो रहे हैं अपनी ख़ुदी को संभाल के
किस बात पे ख़ुदा से शिकायत किया करें ?
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: फ़क़ीर: साधु; सोहबत: संगति; इबादत: पूजा-पाठ; शै: वस्तु; हिफ़ाज़त: सुरक्षा; मुरीद: प्रशंसक; शबे-वस्ल:मिलन-निशा; इनायत: कृपा; बज़्म: गोष्ठी; इस्लाह: परामर्श, सुझाव; नसीहत: समझाना; ख़ुदी: स्वत्व।
हम सोचते हैं हम भी इबादत किया करें
फिरते हैं दिल के चोर शहर में गली-गली
कब तक ज़रा-सी शै की हिफ़ाज़त किया करें
रखते हैं अपने दिल में हर मुरीद की जगह
हम वो: नहीं के: दिल पे सियासत किया करें
चुन-चुन के बांटते हैं शबे-वस्ल का इनाम
वो: हैं ख़ुदा तो सब पे इनायत किया करें
अच्छा नहीं के: बज़्म में इस्लाह दे कोई
बेहतर है दिल में आ के नसीहत किया करें
जी तो रहे हैं अपनी ख़ुदी को संभाल के
किस बात पे ख़ुदा से शिकायत किया करें ?
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: फ़क़ीर: साधु; सोहबत: संगति; इबादत: पूजा-पाठ; शै: वस्तु; हिफ़ाज़त: सुरक्षा; मुरीद: प्रशंसक; शबे-वस्ल:मिलन-निशा; इनायत: कृपा; बज़्म: गोष्ठी; इस्लाह: परामर्श, सुझाव; नसीहत: समझाना; ख़ुदी: स्वत्व।
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