करूं मैं याद तुझे तो ख़ुदा याद आता है
मगर ये हद है के तू बारहा याद आता है
हुआ रक़ीब मेरा वो तो बा-ईमान हुआ
के बद्दुआ में भी नामे-ख़ुदा याद आता है
अज़ां-ए-फ़ज़िर से अज़ां-ए-इशा तक मुझको
वादिए-सीन: का वो मोजज़ा याद आता है
तेरा वो सोज़े-सुख़न वो तेरा अंदाज़े-बयां
हरेक लफ़्ज़ पे सौ सौ दफ़ा याद आता है
सजा जहाज़ मेरा आ गए फ़रिश्ते भी
सफ़र के वक़्त तेरा रास्ता याद आता है !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
अर्थ-संदर्भ: बारहा: बार-बार; रक़ीब: शत्रु; बा-ईमान: आस्थावान; बद्दुआ: अ-शुभेच्छा; अज़ां-ए-फ़ज़िर: सूर्योदय-पूर्व की अज़ान; दिन की पांचवीं और अंतिम अज़ान; वादिए-सीन: का वो मोजज़ा : सीना की घाटी में हज़रत मूसा अ.स. की पुकार पर ख़ुदा का जलवा होने का चमत्कार; सोज़े-सुख़न: साहित्यिक समझ; वक्तृत्व की शैली; लफ़्ज़: शब्द; जहाज़: अर्थी; फ़रिश्ते: मृत्यु-दूत;
मगर ये हद है के तू बारहा याद आता है
हुआ रक़ीब मेरा वो तो बा-ईमान हुआ
के बद्दुआ में भी नामे-ख़ुदा याद आता है
अज़ां-ए-फ़ज़िर से अज़ां-ए-इशा तक मुझको
वादिए-सीन: का वो मोजज़ा याद आता है
तेरा वो सोज़े-सुख़न वो तेरा अंदाज़े-बयां
हरेक लफ़्ज़ पे सौ सौ दफ़ा याद आता है
सजा जहाज़ मेरा आ गए फ़रिश्ते भी
सफ़र के वक़्त तेरा रास्ता याद आता है !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
अर्थ-संदर्भ: बारहा: बार-बार; रक़ीब: शत्रु; बा-ईमान: आस्थावान; बद्दुआ: अ-शुभेच्छा; अज़ां-ए-फ़ज़िर: सूर्योदय-पूर्व की अज़ान; दिन की पांचवीं और अंतिम अज़ान; वादिए-सीन: का वो मोजज़ा : सीना की घाटी में हज़रत मूसा अ.स. की पुकार पर ख़ुदा का जलवा होने का चमत्कार; सोज़े-सुख़न: साहित्यिक समझ; वक्तृत्व की शैली; लफ़्ज़: शब्द; जहाज़: अर्थी; फ़रिश्ते: मृत्यु-दूत;
वाह भैया ! बहुत ही उम्दा !
जवाब देंहटाएंBahut Umda
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जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन
latest post नेताजी सुनिए !!!
latest post: भ्रष्टाचार और अपराध पोषित भारत!!
बहुत खूब लिखा.....
जवाब देंहटाएंशुक्रिया..
अनु