दिल में ख़ुदा के कौन मकीं है मेरे सिवा
ऐसा तो ख़ुशनसीब नहीं है मेरे सिवा
राहे-ख़ुदा में सिर्फ़ मदीना पड़ाव था
हर शख़्स काफ़िले का वहीं है मेरे सिवा
ख़ालिक़ है मेरा दोस्त मेरा हमनवा भी है
इक तू ही यहां शाहे-ज़मीं है मेरे सिवा
आ-आ के मेरे ख़्वाब में इस्लाह जो करे
ग़ालिब का वो: सज्जाद:नशीं है मेरे सिवा
बेहद सुकूं से कर लिया सर दरिय: ए चनाब
कच्चे घड़े पे किसको यक़ीं है मेरे सिवा ?
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: मकीं: मकान में रहने वाला; हमनवा: सह-भाषी; शाहे-ज़मीं: पृथ्वी का शासक;इस्लाह: सुझाव; ग़ालिब: हज़रत मिर्ज़ा ग़ालिब,
19 वीं सदी के महान शायर; सज्जाद:नशीं: गद्दी पर बैठने वाला, उत्तराधिकारी; सर: विजय; दरिय: ए चनाब: चनाब नदी।
ऐसा तो ख़ुशनसीब नहीं है मेरे सिवा
राहे-ख़ुदा में सिर्फ़ मदीना पड़ाव था
हर शख़्स काफ़िले का वहीं है मेरे सिवा
ख़ालिक़ है मेरा दोस्त मेरा हमनवा भी है
इक तू ही यहां शाहे-ज़मीं है मेरे सिवा
आ-आ के मेरे ख़्वाब में इस्लाह जो करे
ग़ालिब का वो: सज्जाद:नशीं है मेरे सिवा
बेहद सुकूं से कर लिया सर दरिय: ए चनाब
कच्चे घड़े पे किसको यक़ीं है मेरे सिवा ?
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: मकीं: मकान में रहने वाला; हमनवा: सह-भाषी; शाहे-ज़मीं: पृथ्वी का शासक;इस्लाह: सुझाव; ग़ालिब: हज़रत मिर्ज़ा ग़ालिब,
19 वीं सदी के महान शायर; सज्जाद:नशीं: गद्दी पर बैठने वाला, उत्तराधिकारी; सर: विजय; दरिय: ए चनाब: चनाब नदी।
वाह वाह वाह !!! जवाब नहीं, बहुत खूब
जवाब देंहटाएंवाह वाह वाह । शब्द कम पड रहे हैं तारीफ के लिये ।
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