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शनिवार, 17 अगस्त 2013

यार से अर्ज़े-हाल ..

दिल  की  बातें  कमाल  की  बातें
ख़ूबसूरत    ख़याल       की  बातें

अर्श  पे     कर  रहे  हैं     सय्यारे
चांद  की  अल-हिलाल  की  बातें

कह  गए  सब  सहेलियों  में  वो:
बेख़ुदी  में    विसाल     की  बातें

दिल  को  कमज़ोर  बना  देती  हैं
फ़िक्रो-रंजो-मलाल    की     बातें

आख़िरत  तक  जवान  रहती  हैं
यार  से    अर्ज़े-हाल     की  बातें

शैख़ साहब का  दिल  धड़कता  है
सुन  के  हुस्नो-जमाल  की  बातें

झुर्रियां   भी    बयान    करती  हैं
हुस्न  के    माहो-साल  की  बातें

इस  ज़ईफ़ी   में  क्या  सुनाएं  हम
अपने    जाहो-जलाल    की  बातें  !

                                           ( 2013 )

                                      -सुरेश  स्वप्निल 

शब्दार्थ: अर्श: आकाश; सय्यारे: नक्षत्र; अल-हिलाल: नए चांद के ठीक ऊपर शुक्र ग्रह के दिखाई पड़ने का दृश्य; विसाल: मिलन; फ़िक्रो-रंजो-मलाल: चिंता, दुःख और क्षोभ; अर्ज़े-हाल: ( प्रेम की ) स्वीकारोक्ति; हुस्नो-जमाल: सौंदर्य और यौवन; माहो-साल: महीने और साल; ज़ईफ़ी: वृद्धावस्था; तेज-प्रताप।


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