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गुरुवार, 25 जुलाई 2013

दुआओं में असर

मेरी  आंखों  में    समंदर   वो:    नज़र  आता  है
प्यास  लगती  है  तो  दरिया  मेरे  घर  आता  है

एक   हम  ही   जहां   में    राज़    जानते  हैं   ये:
किस  तरह    ख़्वाब   कोई  ज़ेरे-बहर  आता  है

यक़ीं  न  हो   तो   मेरे  साथ    जाग  कर   देखो
चांद   हर  रात    मेरी  छत  पे   उतर  आता  है

मेरी  सोहबत  का    असर   आइना  बतलाएगा
कैसे    रग़-रग़  पे    नया  नूर  निखर  आता  है

तू  सबाबों  का  सिला  बन  के  मिला  है  मुझको
देख  के    तुझको   ये:   एहसास   उभर  आता  है

मोमिनों !  बाम  पे   आ  जाओ   दुआएं   पढ़  लो
आसमां   से    कोई    मेहमान    इधर    आता  है

सफ़  में  हिर्सो-हवस  को  दिल  से  दूर  ही  रखियो
पाक   दामन     से    दुआओं  में   असर  आता  है !

                                                                    ( 2013 )

                                                              -सुरेश  स्वप्निल 

शब्दार्थ: दरिया: नदी; राज़: रहस्य; ज़ेरे-बहर: छंद की सीमा में;  सोहबत: संगति; सबाबों  का  सिला: पुण्य-कर्मों का फल;  एहसास: भाव; मोमिनों: श्रद्धालु-गण; बाम: झरोखा; सफ़: पंक्ति, नमाज़ पढने के लिए लगाई गई; हिर्सो-हवस: ईर्ष्या-द्वेष; पाक  दामन: पवित्र हृदय। 


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