दिल में अरमान जगाने से फ़ायदा क्या है
बे-वजह बात बढ़ाने से फ़ायदा क्या है
दिल दिया तुमने यूं के: तुमसे संभलता कब था
हम पे इलज़ाम लगाने से फ़ायदा क्या है
गिरा दिया है नज़र से तो ये: बताओ हमें
के: रूठने से मनाने से फ़ायदा क्या है
तुम्हें जो शक़ है मेरे चाल-चलन पे तो कहो
मेरे ख़याल में आने से फ़ायदा क्या है
किसी के साथ में चलना अगर क़ुबूल न हो
तो रस्म-ओ-राह निभाने से फ़ायदा क्या है
इश्क़ करते हो तो करने का सलीक़ा सीखो
रोज़ अहसान जताने से फ़ायदा क्या है
ज़िद पे आएंगे तो हालात बदल डालेंगे
वरना तूफ़ान उठाने से फ़ायदा क्या है ?
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: रस्म-ओ-राह: सम्बंध निभाने की औपचारिकता; सलीक़ा: शिष्टाचार।
बे-वजह बात बढ़ाने से फ़ायदा क्या है
दिल दिया तुमने यूं के: तुमसे संभलता कब था
हम पे इलज़ाम लगाने से फ़ायदा क्या है
गिरा दिया है नज़र से तो ये: बताओ हमें
के: रूठने से मनाने से फ़ायदा क्या है
तुम्हें जो शक़ है मेरे चाल-चलन पे तो कहो
मेरे ख़याल में आने से फ़ायदा क्या है
किसी के साथ में चलना अगर क़ुबूल न हो
तो रस्म-ओ-राह निभाने से फ़ायदा क्या है
इश्क़ करते हो तो करने का सलीक़ा सीखो
रोज़ अहसान जताने से फ़ायदा क्या है
ज़िद पे आएंगे तो हालात बदल डालेंगे
वरना तूफ़ान उठाने से फ़ायदा क्या है ?
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: रस्म-ओ-राह: सम्बंध निभाने की औपचारिकता; सलीक़ा: शिष्टाचार।
सभी शेर बेहतरीन ।
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