आदाब अर्ज़, दोस्तों।
काफ़ी अर्से बाद आज सीधे आपसे मुख़ातिब हो रहा हूं। मैं दरअसल, कुछ बेहद ज़ाती वजूहात से कुछ रोज़ के लिए आपसे माजरत चाहता हूं। जैसे ही हालात बेहतर होंगे, फिर आपकी ख़िदमत में हाज़िर हो जाऊंगा। इस दौरान शाम के वक़्त अपने फ़ेस-बुक पेज पर ज़्यादा से ज़्यादा वक़्त हाज़िर रहने की कोशिश करूंगा।
'साझा आसमान' पर वापस लौटने तक, मेरी दुआएं आपके साथ रहेंगी ही।
ख़ुदा हाफ़िज़।
काफ़ी अर्से बाद आज सीधे आपसे मुख़ातिब हो रहा हूं। मैं दरअसल, कुछ बेहद ज़ाती वजूहात से कुछ रोज़ के लिए आपसे माजरत चाहता हूं। जैसे ही हालात बेहतर होंगे, फिर आपकी ख़िदमत में हाज़िर हो जाऊंगा। इस दौरान शाम के वक़्त अपने फ़ेस-बुक पेज पर ज़्यादा से ज़्यादा वक़्त हाज़िर रहने की कोशिश करूंगा।
'साझा आसमान' पर वापस लौटने तक, मेरी दुआएं आपके साथ रहेंगी ही।
ख़ुदा हाफ़िज़।
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