इतना आसां नहीं फ़िदा होना
राह चलते से बावफ़ा होना
आशिक़ी सब के बस की बात नहीं
चाहते सब हैं आशना होना
आसमां से लिखा के लाए हैं
हर हसीं चीज़ से जुदा होना
हुस्न मग़रूर हो ये: लाज़िम है
इश्क़ का फ़र्ज़ है दुआ होना
आपके दोस्त हैं, ये: काफ़ी है
हमको आता नहीं ख़ुदा होना !
( 2 0 1 3 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: फ़िदा: न्योछावर; बावफ़ा: निभाने वाला; आशना: निकट मित्र; जुदा: अलग;
मग़रूर: घमंडी,गर्वोन्मत्त; लाज़िम: स्वाभाविक।
राह चलते से बावफ़ा होना
आशिक़ी सब के बस की बात नहीं
चाहते सब हैं आशना होना
आसमां से लिखा के लाए हैं
हर हसीं चीज़ से जुदा होना
हुस्न मग़रूर हो ये: लाज़िम है
इश्क़ का फ़र्ज़ है दुआ होना
आपके दोस्त हैं, ये: काफ़ी है
हमको आता नहीं ख़ुदा होना !
( 2 0 1 3 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: फ़िदा: न्योछावर; बावफ़ा: निभाने वाला; आशना: निकट मित्र; जुदा: अलग;
मग़रूर: घमंडी,गर्वोन्मत्त; लाज़िम: स्वाभाविक।
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