रफ़्ता - रफ़्ता मुहब्बत शुरू हो गई
दर्द-ए-दिल की शिकायत शुरू हो गई
ये: निगोड़ी नज़र कह गई राज़-ए-दिल
हर शहर में बग़ावत शुरू हो गई
हसरतों की कहानी में मोड़ आ गया
उनसे ख़त -ओ- किताबत शुरू हो गई
उनकी नज़रों ने नाहक़ बदन छू लिया
हल्की - हल्की हरारत शुरू हो गई
इश्क़ ने इस क़दर हमको रौशन किया
दो- जहाँ में इबादत शुरू हो गई ।
(2012)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: रफ़्ता-रफ्ता: धीरे-धीरे
दर्द-ए-दिल की शिकायत शुरू हो गई
ये: निगोड़ी नज़र कह गई राज़-ए-दिल
हर शहर में बग़ावत शुरू हो गई
हसरतों की कहानी में मोड़ आ गया
उनसे ख़त -ओ- किताबत शुरू हो गई
उनकी नज़रों ने नाहक़ बदन छू लिया
हल्की - हल्की हरारत शुरू हो गई
इश्क़ ने इस क़दर हमको रौशन किया
दो- जहाँ में इबादत शुरू हो गई ।
(2012)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: रफ़्ता-रफ्ता: धीरे-धीरे
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