आप पर एतबार रखते हैं
हम युं ही जी को मार रखते हैं
चोट खाना नसीब है अपना
हसरतें तो हज़ार रखते हैं
कौन जाने कि क्या पिला डालें
जो नज़र में ख़ुमार रखते हैं
राज़े-सेहत बताएं क्या अपना
दर्द दिल पर सवार रखते हैं
काटिए क्या हुज़ूर ख़ंजर से
हम अभी सर उतार रखते हैं
बाज़ आएं नज़र मिलाने से
हम बहुत तेज़ धार रखते हैं
कौन हमको वफ़ा सिखाएगा
हम जिगर तार-तार रखते हैं
दीजिए बद्दुआ हमें खुल कर
हम सभी कुछ उधार रखते हैं
मौत आई है जायज़ा लेने
दुश्मनों को पुकार रखते हैं !
(2017)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: एतबार: विश्वास; नसीब: प्रारब्ध; हसरतें: लालसाएं; ख़ुमार: मदिरता; राज़े-सेहत: स्वास्थ्य का रहस्य; ख़ंजर: क्षुरि; बाज़ आना : दूर रहना; बद्दुआ: अशुभकामना; जायज़ा : पर्यवेक्षण।
हम युं ही जी को मार रखते हैं
चोट खाना नसीब है अपना
हसरतें तो हज़ार रखते हैं
कौन जाने कि क्या पिला डालें
जो नज़र में ख़ुमार रखते हैं
राज़े-सेहत बताएं क्या अपना
दर्द दिल पर सवार रखते हैं
काटिए क्या हुज़ूर ख़ंजर से
हम अभी सर उतार रखते हैं
बाज़ आएं नज़र मिलाने से
हम बहुत तेज़ धार रखते हैं
कौन हमको वफ़ा सिखाएगा
हम जिगर तार-तार रखते हैं
दीजिए बद्दुआ हमें खुल कर
हम सभी कुछ उधार रखते हैं
मौत आई है जायज़ा लेने
दुश्मनों को पुकार रखते हैं !
(2017)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: एतबार: विश्वास; नसीब: प्रारब्ध; हसरतें: लालसाएं; ख़ुमार: मदिरता; राज़े-सेहत: स्वास्थ्य का रहस्य; ख़ंजर: क्षुरि; बाज़ आना : दूर रहना; बद्दुआ: अशुभकामना; जायज़ा : पर्यवेक्षण।
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