जब हमें रास्ता नहीं होता
दोस्तों का पता नहीं होता
सब गुनहगार हैं मुहब्बत के
अब कोई बे-ख़ता नहीं होता
खैंच लाता है दिल को सीने से
शे'र यूं ही क़त्'.अ नहीं होता
रोग दिल का न हम लगा लेते
दर्द भी लापता नहीं होता
मुश्किलाते-ग़रीबो-मुफ़लिस से
शाह को वास्ता नहीं होता
मैकदा है गवाह सदियों से
शैख़ भी देवता नहीं होता
तूर पर वो दिखाई देते हैं
पर कभी राब्ता नहीं होता !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: गुनहगार : अपराधी ; बे-ख़ता : निर्दोष, दोष-रहित ; क़त्'.अ : समाप्त ; मुश्किलाते-ग़रीबो-मुफ़लिस : निर्धन-वंचितों की कठिनाइयों ; वास्ता : संबंध, चिंता ; मैकदा : मदिरालय ; शैख़ : धर्मोपदेशक ; तूर :एक मिथकीय पर्वत, जहांईश्वर ने हज़रत मूसा अलैहि सलाम को दर्शन दिए थे ; राब्ता : संपर्क ।
दोस्तों का पता नहीं होता
सब गुनहगार हैं मुहब्बत के
अब कोई बे-ख़ता नहीं होता
खैंच लाता है दिल को सीने से
शे'र यूं ही क़त्'.अ नहीं होता
रोग दिल का न हम लगा लेते
दर्द भी लापता नहीं होता
मुश्किलाते-ग़रीबो-मुफ़लिस से
शाह को वास्ता नहीं होता
मैकदा है गवाह सदियों से
शैख़ भी देवता नहीं होता
तूर पर वो दिखाई देते हैं
पर कभी राब्ता नहीं होता !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: गुनहगार : अपराधी ; बे-ख़ता : निर्दोष, दोष-रहित ; क़त्'.अ : समाप्त ; मुश्किलाते-ग़रीबो-मुफ़लिस : निर्धन-वंचितों की कठिनाइयों ; वास्ता : संबंध, चिंता ; मैकदा : मदिरालय ; शैख़ : धर्मोपदेशक ; तूर :एक मिथकीय पर्वत, जहांईश्वर ने हज़रत मूसा अलैहि सलाम को दर्शन दिए थे ; राब्ता : संपर्क ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें