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सोमवार, 21 मार्च 2016

हिज्र में उम्र कटना...

दुश्मनों  से  लिपटना  बुरी  बात  है
दोस्तों   से  सिमटना  बुरी  बात  है

शोख़ियों  के  सहारे  किसी  शख़्स  की
बाज़िए -दिल  उलटना   बुरी  बात  है

एक  दिन  भी  जुदाई  बड़ी  चीज़  है
हिज्र  में  उम्र  कटना  बुरी  बात  है

वस्ल  के  वक़्त  वादा-ख़िलाफ़ी न  कर
पास  आकर  पलटना  बुरी  बात  है

जज़्ब  जज़्बात  को  कीजिए  नफ़्स  में
दिल  सरे-राह  लुटना  बुरी  बात  है

हाले-दिल  दोस्तों  को  सुनाते  रहें
ग़म  से  तन्हा  निबटना  बुरी  बात  है

हमक़दम  बन  सको  तो  चलो  साथ  में
हर  क़दम  पर  घिसटना  बुरी  बात  है  !

                                                                                (2016)

                                                                         -सुरेश  स्वप्निल 

शब्दार्थ: शोख़ियों: चपलताओं; शख़्स : व्यक्ति ; बाज़िए-दिल : मन का दांव ; जुदाई : अलग होना ; हिज्र : वियोग ; वस्ल : मिलन ; वादा-ख़िलाफ़ी : वचन भंग ; जज़्ब : विलीन ; जज़्बात : भावनाओं ; नफ़्स : श्वास; सरे-राह : मार्ग के मध्य ; हाले-दिल : मन की स्थिति ; तन्हा : अकेले ; हमक़दम : पग-पग पर साथ देने वाला ।

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