हां वो शख़्स मेरा रक़ीब था मेरे मक़बरे से चला गया
मेरी मग़फ़िरत की दुआएं कीं एक शम्'.अ रख के चला गया
ये भी अपना अपना जुनून है मैं झुका नहीं तू रुका नहीं
तू कि दिल से दूर चला गया मैं क़रीब होते चला गया
हां तेरी ख़ुदाई कमाल है मेरी बंदगी भी मिसाल है
तेरा दर कि मुझपे खुला नहीं मैं ही बैठे बैठे चला गया
मेरी नब्ज़ छू के तू रो दिया मेरी रूह साथ सिसक उठी
ऐ तबीब ! ग़म की दवा न दे मैं तेरे जहां से चला गया
तू निबाह कर कि तबाह कर तेरा घर ख़ुशी से भरा रहे
मेरा क्या है मैं तो फ़क़ीर हूं कि नए सफ़र पे चला गया
है तवील राहे-उमीद ये मुझे सब्र हो तो कहां तलक
मेरी आह भी न तू सुन सका तो मैं अश्क थामे चला गया
मुझे जब लगा कि तू है ख़ुदा मेरा सज्दा ख़ुद ही अता हुआ
कभी शक़ हुआ तेरी ज़ात पर मैं नज़र बचाए चला गया !
(2015)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: शख़्स: व्यक्ति; रक़ीब: प्रतिद्वंदी; मक़बरा: समाधि; मग़फ़िरत: मोक्ष; जुनून : उन्माद; ख़ुदाई: ईश्वरत्व; बंदगी: भक्ति-भाव;
कमाल: चमत्कारी; मिसाल : उदाहरण; दर:द्वार; नब्ज़ : नाड़ी; रूह: आत्मा; तबीब : वैद्य; जहां: संसार; निबाह : निर्वाह; तबाह: उद्ध्वस्त; फ़क़ीर:सन्यासी; सफ़र:यात्रा; तवील: लंबी; राहे-उमीद: आशा का मार्ग; सब्र: धैर्य; दंडवत प्रणाम; अता : पूर्ण; ज़ात:अस्तित्व।
मेरी मग़फ़िरत की दुआएं कीं एक शम्'.अ रख के चला गया
ये भी अपना अपना जुनून है मैं झुका नहीं तू रुका नहीं
तू कि दिल से दूर चला गया मैं क़रीब होते चला गया
हां तेरी ख़ुदाई कमाल है मेरी बंदगी भी मिसाल है
तेरा दर कि मुझपे खुला नहीं मैं ही बैठे बैठे चला गया
मेरी नब्ज़ छू के तू रो दिया मेरी रूह साथ सिसक उठी
ऐ तबीब ! ग़म की दवा न दे मैं तेरे जहां से चला गया
तू निबाह कर कि तबाह कर तेरा घर ख़ुशी से भरा रहे
मेरा क्या है मैं तो फ़क़ीर हूं कि नए सफ़र पे चला गया
है तवील राहे-उमीद ये मुझे सब्र हो तो कहां तलक
मेरी आह भी न तू सुन सका तो मैं अश्क थामे चला गया
मुझे जब लगा कि तू है ख़ुदा मेरा सज्दा ख़ुद ही अता हुआ
कभी शक़ हुआ तेरी ज़ात पर मैं नज़र बचाए चला गया !
(2015)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: शख़्स: व्यक्ति; रक़ीब: प्रतिद्वंदी; मक़बरा: समाधि; मग़फ़िरत: मोक्ष; जुनून : उन्माद; ख़ुदाई: ईश्वरत्व; बंदगी: भक्ति-भाव;
कमाल: चमत्कारी; मिसाल : उदाहरण; दर:द्वार; नब्ज़ : नाड़ी; रूह: आत्मा; तबीब : वैद्य; जहां: संसार; निबाह : निर्वाह; तबाह: उद्ध्वस्त; फ़क़ीर:सन्यासी; सफ़र:यात्रा; तवील: लंबी; राहे-उमीद: आशा का मार्ग; सब्र: धैर्य; दंडवत प्रणाम; अता : पूर्ण; ज़ात:अस्तित्व।
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