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शनिवार, 14 फ़रवरी 2015

सरकार कब थी ?

तुम्हारे  हाथ  में  तलवार  कब  थी
अगर  थी,  तो  बदन  में  धार  कब  थी

बचाना  चाहते  थे  तुम  सफ़ीना
हमारे  सामने  मझधार  कब  थी

गवारा   हो  न  पाया  सर  झुकाना
मुहब्बत  थी,  मगर  लाचार  कब  थी

किए  थे   मुल्क  से   वादे  हज़ारों
अमल  में  शाह  के  रफ़्तार  कब  थी

ख़ुदा  जाने  किसी  ने  क्या  संवारा
हमें  इमदाद  की  दरकार  कब  थी

जिसे  मौक़ा  मिला  लूटा  उसी  ने
वतन  के  वास्ते  सरकार  कब  थी

वुज़ू  थी,  वज्ह  थी,  जामो-सुबू  थे
ख़ुदा  की  राह  में  दीवार  कब  थी  ?

                                                              (2015)

                                                      -सुरेश  स्वप्निल

शब्दार्थ: सफ़ीना: नाव; गवारा: सह्य; लाचार: निर्विकल्प; अमल: क्रियान्वयन; रफ़्तार: गति; इमदाद: सहायता (बहुव.); दरकार: मांग, आवश्यकता; मौक़ा: अवसर; वास्ते: हेतु; वुज़ू: नमाज़ के लिए आवश्यक स्वच्छता; वज्ह: कारण; जामो-सुबू: मदिरा-पात्र और घट ।


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