ख़ुदा का काम है, उसने हमें बर्बाद कर डाला
तुम्हें किस शै ने क़ैदे-जिस्म से आज़ाद कर डाला ?
नज़रसाज़ी हुनर है जो विरासत में नहीं मिलता
अरूज़े-ज़ीस्त में जिसने हमें उस्ताद कर डाला
असर कैसे न होगा गर दिले-बुलबुल से निकलेगी
दबी-सी आह ने घायल दिले-सैयाद कर डाला
मरहबा कह रहे हैं सब निगाहे-नाज़ पर तेरी
दिले-नाशाद को जिसने दिले-नौशाद कर डाला
कन्हैया नाम था उस तिफ़्ल का बंशी बजाता था
कि जिसकी तान ने दोनों जहां को शाद कर डाला
हमारा भी नशेमन फूंक डाला फ़ौजे-शाही ने
मगर इस आतिशे-ग़म ने हमें फ़ौलाद कर डाला
न जाने किस तरह की सोच लेकर आए हैं साहब
ख़्याले-हिंद को भी जन्नते-शद्दाद कर डाला !
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: शै: वस्तु/व्यक्ति/शक्ति; क़ैदे-जिस्म: शरीर के बंधन; नज़रसाज़ी: विश्लेषण हेतु सोद्देश्य दृष्टि-निपात; हुनर: कौशल; विरासत:उत्तराधिकार; दिले-बुलबुल: बुलबुल का हृदय; दिले-सैयाद; बहेलिये का हृदय; मरहबा; धन्य-धन्य; तिफ़्ल: शिशु; शाद; प्रसन्न, सुखी; निगाहे-नाज़: भावपूर्ण दृष्टि; दिले-नाशाद: दु:खी हृदय; दिले-नौशाद: अभी-अभी प्रसन्न हुए व्यक्ति का हृदय; नशेमन: घर, घोंसला; फ़ौजे-शाही: राजा की सेना; आतिशे-ग़म: दु:ख की अग्नि; फ़ौलाद: इस्पात; ख़्याले-हिंद: भारत का विचार/दर्शनिकता; जन्नते-शद्दाद: शद्दाद का स्वर्ग-मिस्र का एक अधर्मी-नास्तिक शासक शद्दाद अपने-आप को ख़ुदा मानता था । उसने इसे स्वीकार्य बनाने के लिए एक कृत्रिम स्वर्ग का निर्माण किया था। माना जाता है कि इस 'स्वर्ग' में प्रवेश करने के पूर्व ही, इसके द्वार पर उसके पुत्र ने उसकी हत्या कर दी थी।
तुम्हें किस शै ने क़ैदे-जिस्म से आज़ाद कर डाला ?
नज़रसाज़ी हुनर है जो विरासत में नहीं मिलता
अरूज़े-ज़ीस्त में जिसने हमें उस्ताद कर डाला
असर कैसे न होगा गर दिले-बुलबुल से निकलेगी
दबी-सी आह ने घायल दिले-सैयाद कर डाला
मरहबा कह रहे हैं सब निगाहे-नाज़ पर तेरी
दिले-नाशाद को जिसने दिले-नौशाद कर डाला
कन्हैया नाम था उस तिफ़्ल का बंशी बजाता था
कि जिसकी तान ने दोनों जहां को शाद कर डाला
हमारा भी नशेमन फूंक डाला फ़ौजे-शाही ने
मगर इस आतिशे-ग़म ने हमें फ़ौलाद कर डाला
न जाने किस तरह की सोच लेकर आए हैं साहब
ख़्याले-हिंद को भी जन्नते-शद्दाद कर डाला !
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: शै: वस्तु/व्यक्ति/शक्ति; क़ैदे-जिस्म: शरीर के बंधन; नज़रसाज़ी: विश्लेषण हेतु सोद्देश्य दृष्टि-निपात; हुनर: कौशल; विरासत:उत्तराधिकार; दिले-बुलबुल: बुलबुल का हृदय; दिले-सैयाद; बहेलिये का हृदय; मरहबा; धन्य-धन्य; तिफ़्ल: शिशु; शाद; प्रसन्न, सुखी; निगाहे-नाज़: भावपूर्ण दृष्टि; दिले-नाशाद: दु:खी हृदय; दिले-नौशाद: अभी-अभी प्रसन्न हुए व्यक्ति का हृदय; नशेमन: घर, घोंसला; फ़ौजे-शाही: राजा की सेना; आतिशे-ग़म: दु:ख की अग्नि; फ़ौलाद: इस्पात; ख़्याले-हिंद: भारत का विचार/दर्शनिकता; जन्नते-शद्दाद: शद्दाद का स्वर्ग-मिस्र का एक अधर्मी-नास्तिक शासक शद्दाद अपने-आप को ख़ुदा मानता था । उसने इसे स्वीकार्य बनाने के लिए एक कृत्रिम स्वर्ग का निर्माण किया था। माना जाता है कि इस 'स्वर्ग' में प्रवेश करने के पूर्व ही, इसके द्वार पर उसके पुत्र ने उसकी हत्या कर दी थी।
आपकी लिखी रचना बुधवार 24 सितम्बर 2014 को लिंक की जाएगी........... http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंवर्तमान को उकेरती भावपूर्ण रचना।
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