हर हुनर हम पे आज़माते हैं
जाने किस-किस से सीख आते हैं
आप जब बेरुख़ी दिखाते हैं
रूह की मुश्किलें बढ़ाते हैं
दूर रह कर निगाह से अक्सर
आप नज़दीक़ हुए जाते हैं
आप अपनी क़सम न दोहराएं
हम सभी फ़ैसले निभाते हैं
मौत आ जाए उन ख़यालों को
जो उन्हें बेवफ़ा बनाते हैं
दोस्तों में कमाल का दम है
रात-भर फ़लसफ़ा सुनाते हैं
वो: तरक़्क़ी की बात करते हैं
और फिर बस्तियां जलाते हैं
आईना देखते नहीं ख़ुद वो:
ग़ैर पर उंगलियां उठाते हैं
बज़्म में सर झुकाए रहते हैं
अर्श से बिजलियां गिराते हैं !
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: हुनर: कौशल; बेरुख़ी: उपेक्षा; फ़लसफ़ा: दर्शन; तरक़्क़ी: प्रगति; बज़्म: सभा; अर्श: आकाश ।
जाने किस-किस से सीख आते हैं
आप जब बेरुख़ी दिखाते हैं
रूह की मुश्किलें बढ़ाते हैं
दूर रह कर निगाह से अक्सर
आप नज़दीक़ हुए जाते हैं
आप अपनी क़सम न दोहराएं
हम सभी फ़ैसले निभाते हैं
मौत आ जाए उन ख़यालों को
जो उन्हें बेवफ़ा बनाते हैं
दोस्तों में कमाल का दम है
रात-भर फ़लसफ़ा सुनाते हैं
वो: तरक़्क़ी की बात करते हैं
और फिर बस्तियां जलाते हैं
आईना देखते नहीं ख़ुद वो:
ग़ैर पर उंगलियां उठाते हैं
बज़्म में सर झुकाए रहते हैं
अर्श से बिजलियां गिराते हैं !
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: हुनर: कौशल; बेरुख़ी: उपेक्षा; फ़लसफ़ा: दर्शन; तरक़्क़ी: प्रगति; बज़्म: सभा; अर्श: आकाश ।
आपकी लिखी रचना बुधवार 23 अप्रेल 2014 को लिंक की जाएगी...............
जवाब देंहटाएंhttp://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
सुंदर गजल .....
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंसादर
बढ़िया व सुन्दर रचना , सुरेश भाई धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंनवीन प्रकाशन - घरेलू उपचार ( नुस्खे ) - भाग - ८
~ ज़िन्दगी मेरे साथ - बोलो बिंदास ! ~ ( एक ऐसा ब्लॉग -जो जिंदगी से जुड़ी हर समस्या का समाधान बताता है )
sundar...
जवाब देंहटाएंलाजवाब गज़ल ... कमाल कि गज़ल ...
जवाब देंहटाएंमौत आ जाए उन ख़यालों को
जवाब देंहटाएंजो उन्हें बेवफ़ा बनाते हैं.....................वाह बहुत खूब