दर्द देंगे वो: या दवा देंगे
हम तो हर हाल में निभा देंगे
आज नूरे-नज़र हैं हम जिनके
कल वही आंख से गिरा देंगे
कौन जाने के: क्या करेंगे हम
वो: अगर बज़्म से उठा देंगे
रफ़्ता-रफ़्ता करें वो: क़त्ल हमें
नफ़्स दर नफ़्स हम दुआ देंगे
हम तभी ख़ूं-बहा करेंगे तय
आप जिस रोज़ मुस्कुरा देंगे
बस वज़ारत उन्हें मिली समझो
रिश्तेदारों को फ़ायदा देंगे
हम ख़िलाफ़त अगर करें दिल की
तो ख़ुदा को जवाब क्या देंगे ?!
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: नूरे-नज़र: दृष्टि; बज़्म: सभा, महफ़िल; रफ़्ता-रफ़्ता: धीमे-धीमे; नफ़्स दर नफ़्स: हर सांस में;
ख़ूं-बहा : प्राणों का मूल्य, वध-मूल्य; वज़ारत: मंत्रि-पद; ख़िलाफ़त: विरोध।
हम तो हर हाल में निभा देंगे
आज नूरे-नज़र हैं हम जिनके
कल वही आंख से गिरा देंगे
कौन जाने के: क्या करेंगे हम
वो: अगर बज़्म से उठा देंगे
रफ़्ता-रफ़्ता करें वो: क़त्ल हमें
नफ़्स दर नफ़्स हम दुआ देंगे
हम तभी ख़ूं-बहा करेंगे तय
आप जिस रोज़ मुस्कुरा देंगे
बस वज़ारत उन्हें मिली समझो
रिश्तेदारों को फ़ायदा देंगे
हम ख़िलाफ़त अगर करें दिल की
तो ख़ुदा को जवाब क्या देंगे ?!
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: नूरे-नज़र: दृष्टि; बज़्म: सभा, महफ़िल; रफ़्ता-रफ़्ता: धीमे-धीमे; नफ़्स दर नफ़्स: हर सांस में;
ख़ूं-बहा : प्राणों का मूल्य, वध-मूल्य; वज़ारत: मंत्रि-पद; ख़िलाफ़त: विरोध।
सुंदर रचना...
जवाब देंहटाएंआप की ये रचना आने वाले शनीवार यानी 7 सितंबर 2013 को ब्लौग प्रसारण पर लिंक की जा रही है...आप भी इस प्रसारण में सादर आमंत्रित है... आप इस प्रसारण में शामिल अन्य रचनाओं पर भी अपनी दृष्टि डालें...इस संदर्भ में आप के सुझावों का स्वागत है...
कविता मंच[आप सब का मंच]
हमारा अतीत [जो खो गया है उसे वापिस लाने में आप भी कुछ अवश्य लिखें]
मन का मंथन [मेरे विचारों का दर्पण]
बहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।
जवाब देंहटाएंBahut Khub
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