इस सफ़र में बड़ा हादसा हो गया
रहनुमां रास्ते में कहीं खो गया
सोचते थे सुकूं ले के आएगी शब
चांद तनहाइयों की फसल बो गया
अश्क दिल में छुपा के मैं हंसता रहा
एक बादल मेरे नाम से रो गया
देखते रह गए हम खड़े राह में
यार दे के दग़ा ये: गया वो: गया
इश्क़ के जुर्म से यूं तलाफ़ी हुई
दरिय:-ए-अश्क दाग़-ए-जिगर धो गया !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: हादसा: दुर्घटना; रहनुमां: पथ-प्रदर्शक; सुकूं: शांति; शब: रात; दग़ा: धोखा; तलाफ़ी: दोष-मुक्ति;
दरिय:-ए-अश्क: आंसुओं की नदी; दाग़-ए-जिगर: ह्रदय का दाग़।
रहनुमां रास्ते में कहीं खो गया
सोचते थे सुकूं ले के आएगी शब
चांद तनहाइयों की फसल बो गया
अश्क दिल में छुपा के मैं हंसता रहा
एक बादल मेरे नाम से रो गया
देखते रह गए हम खड़े राह में
यार दे के दग़ा ये: गया वो: गया
इश्क़ के जुर्म से यूं तलाफ़ी हुई
दरिय:-ए-अश्क दाग़-ए-जिगर धो गया !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: हादसा: दुर्घटना; रहनुमां: पथ-प्रदर्शक; सुकूं: शांति; शब: रात; दग़ा: धोखा; तलाफ़ी: दोष-मुक्ति;
दरिय:-ए-अश्क: आंसुओं की नदी; दाग़-ए-जिगर: ह्रदय का दाग़।
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति,आपका आभार.
जवाब देंहटाएंआपकी गज़लें तो इस जगह पर होनी ही चाहिए,आपका क्या ख्याल है.
"हिन्दी काव्य संकलन"
सोचते थे सुकूं ले के आएगी शब
जवाब देंहटाएंचांद तनहाइयों की फसल बो गया
सुन्दर प्रस्तुति बहुत कुछ कह दिया आपने,h
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल १४ /५/१३ मंगलवारीय चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां स्वागत है ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंसाझा करने के लिए शुक्रिया!